प्रमाणीकरण ईको-सिस्टम
आधार प्रमाणीकरण क्या है?
आधार प्रमाणीकरण का अर्थ है वह प्रक्रिया जिसके द्वारा किसी आधार धारक की आधार संख्या के साथ जनांकिकीय सूचना या बायोमीट्रिक सूचना सत्यापन के लिए केंद्रीय पहचान डाटा भंडार (सीआईडीआर) को भेजी जाती है और सीआईडीआर द्वारा उपलब्ध सूचना के अनुसार इसकी शुद्धता या उसमें पाई गई कमी का सत्यापन किया जाता है।
अवलोकन
आधार संख्या या इसका प्रमाणीकरण, आधार संख्या धारक के संबंध में स्वयं के द्वारा, कोई भी अधिकार, नागरिकता या निवास का प्रमाण प्रदान नहीं करेगा।
कई अनुरोधकर्ता संस्थाएं (या सेवा प्रदाता) व्यक्तियों से उनका ऐसा पहचान प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहते हैं, जो उपभोक्ता सेवाओं, सब्सिडी या लाभ प्रदान करने के लिए एक संबल के रूप में कार्य करता है। ऐसे पहचान प्रमाणों को एकत्र करते समय, इन सेवा प्रदाताओं को पहचान जानकारी दस्तावेजों की शुद्धता/व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुंत किए गए प्रमाणों की पुष्टि/सत्यापन करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
आधार प्रमाणीकरण का उद्देश्य एक डिजिटल, ऑनलाइन पहचान प्लेटफॉर्म प्रदान करना है ताकि आधार संख्या धारकों की पहचान तुरंत, कहीं भी, कभी भी सया पित की जा सके।
यूआईडीएआई एक सेवा के रूप में आधार आधारित प्रमाणीकरण प्रदान करता है जो संस्थाओं (सरकारी/ सार्वजनिक और निजी संस्थाओं/एजेंसियों) के अनुरोध पर उनके द्वारा उपयोग किया जा सकता है। यूआईडीएआई से यह सेवा अनुरोधकर्ता संस्थाओं द्वारा उपभोक्ता सेवाओं/सब्सिडी/लाभ/व्याकवसायिक कार्यों/परिसर तक उनकी पहुंच प्रदान करने से पहले अपने ग्राहकों/कर्मचारियों/अन्य सहयोगियों की पहचान प्रमाणित करने के लिए (उनकी व्यक्तिगत पहचान की जानकारी के आधार पर) उपयोग की जा सकती है।
प्रमाणीकरण की विधियां —
- प्राधिकरण केवल अनुरोधकर्ता इकाई द्वारा इन विनियमों के अनुसार और प्राधिकरण द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजे गए प्रमाणीकरण अनुरोध को ही स्वीसकार करेगा।
- प्रमाणीकरण निम्नलिखित विधियों से किया जा सकता है :
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- जनसांख्यिकीय प्रमाणीकरण : आधार संख्या धारक से प्राप्त आधार संख्या और आधार संख्या धारक की जनसांख्यिकीय जानकारी को सीआईडीआर में आधार संख्या धारक की जनसांख्यिकीय जानकारी से मिलान किया जाता है।
- वन-टाइम पिन आधारित प्रमाणीकरण: सीमित समय की वैधता के साथ एक एक समय पिन (ओटीपी), प्राधिकारी के साथ पंजीकृत आधार संख्या धारक के मोबाइल नंबर और / या ई-मेल पते पर भेजा जाता है, या अन्य उपयुक्त माध्यमों से उत्पन्न । आधार संख्या धारक प्रमाणीकरण के दौरान अपने आधार नंबर के साथ इस ओटीपी प्रदान करेगा और प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए ओटीपी के साथ इसका मिलान किया जाएगा।
- बॉयोमीट्रिक-आधारित प्रमाणीकरण : आधार संख्या धारक द्वारा प्रस्तुत आधार संख्या और बायोमेट्रिक जानकारी सीआईडीआर में जमा किए गए आधार नंबर धारक की बायोमेट्रिक जानकारी से मेल खाती है। सीआईडीआर में संग्रहित बायोमेट्रिक जानकारी के आधार पर यह फिंगरप्रिंट-आधारित या आईरिस आधारित प्रमाणीकरण या अन्य बायोमेट्रिक रूपरेखा हो सकता है।
- बहु-कारक प्रमाणीकरण: दो या अधिक दो तरीकों का एक संयोजन प्रमाणीकरण के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- एक अनुरोध करने वाली संस्था, उप-विनियमन (2) में विनिर्दिष्ट तरीके से प्रमाणीकरण के उपयुक्त मोड (एस) का चयन कर सकता है जो किसी विशेष सेवा या व्यापार कार्य के लिए इसकी आवश्यकता के अनुसार, सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रमाणीकरण के कई कारक भी शामिल है। संदेह से बचाव के लिए, यह स्पष्ट किया जाता है कि ई-केवाईसी प्रमाणीकरण केवल ओटीपी और / या बायोमैट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग किया जाएगा।
प्रमाणीकरण के लिए आधार संख्या धारक की सहमति प्राप्त करना
केन्द्रीय/राज्य सरकार सब्सिडी, लाभ या सेवा की प्राप्ति की शर्त के रूप में व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से यह अपेक्षा करती हैं कि इस तरह के व्यक्ति को प्रमाणीकरण करे, या आधार संख्या के होने का प्रमाण प्रस्तु्त करे या यदि किसी व्यक्ति को आधार संख्याक नहीं दी गई है, के मामले में, ऐसे व्यक्ति आधार नामांकन के लिए आवेदन करें।
यदि किसी व्यक्ति को आधार नंबर नहीं दिया गया है, तो व्यक्ति को सब्सिडी, लाभ या सेवा के वितरण के लिए पहचान के वैकल्पिक और व्यवहार्य माध्यमों की पेशकश की जाएगी।
आधार अधिनियम के अनुपालन में, सभी अनुरोधकर्ता संस्थाएं या सेवा प्रदाता को :
- जब तक कि इस अधिनियम में अन्यथा अपेक्षित न हो, यूआईडीएआई की नीति और विनियमों द्वारा अधिदेशित रूप में प्रमाणीकरण के प्रयोजन हेतु किसी व्यकक्ति की जानकारी एकत्र करने से पहले उस व्यक्ति की सहमति प्राप्त करनी आवश्यसक होगी।
- यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी व्यक्ति की पहचान की जानकारी का उपयोग केवल प्रमाणीकरण के लिए सीआईडीआर को प्रस्तुत करने के लिए किया जाएगा।
इस आधार अधिनियम में ऐसा कुछ भी शामिल नहीं है जो किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या के उपयोग को रोक दे, चाहे वह राज्य या किसी भी कंपनी या व्यक्ति द्वारा, तत्स मय लागू कानून के अनुसार, या इस संबंध में किसी भी अनुबंध के लिए ही हो।
बशर्ते कि आधार संख्या का उपयोग अधिनियम की धारा 8 और अध्याय 6 के तहत प्रक्रिया और दायित्वों के अधीन होगा।
प्रमाणीकरण सेवाएं
यूआईडीएआई द्वारा अपने दो डाटा केंद्रों जैसे हेब्बल डाटा सेंटर (एचडीसी) और मानेसर डाटा सेंटर (एमडीसी) द्वारा ऑनलाइन और रियल टाइम के रूप में प्रमाणीकरण सेवा की व्यववस्थाल की गई है, जहां प्रमाणीकरण के लिए ऑनलाइन सेवाएं और ई-केवाईसी जैसी अन्य सेवाओं को सक्रिय मोड में संचालित किया जाता है ताकि सेवाओं पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
वर्तमान में यूआईडीएआई की केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी (सीआईडीआर) दैनिक आधार पर दस लाख तक प्रमाणीकरणों को निपटाने में सक्षम है और मांग बढ़ने के साथ-साथ इसे बढ़ाया भी जा सकता है। आधार संख्या धारकों को सेवाएं प्रदान करने वाली कई अनुरोधकर्ता संस्थाओं ने देश में कहीं भी बेहतर सर्विस डिलीवरी के लिए अपने डोमेन अनुप्रयोगों में वास्तविक समय, स्केलेबल, इंटरऑपरेबल तरीके से आधार को एकीकृत किया है।