आधार सृजन
आधार सृजन प्रक्रिया में गुणवत्ता की जांच, पैकेट मान्यकरण, जनसांख्यिकीय और बायोमीट्रिक डी- डुप्लिकेशन इत्यादि शामिल है। आधार कार्ड का सफलतापूर्वक सृजन तभी होता है:--
- जब नामांकन डेटा की गुणवत्ता यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित मानदण्डों पर खरा उतरे।
- नामांकन पैकेट सीआईडीआर में किए गए सभी मान्यकरणों को पूरा कर लेता है।
- कोई जनसांख्यिकीय/ बॉयोमीट्रिक डुप्लिकेट नहीं पाया जाए।
यदि उपरोक्त शर्तें पूरी नहीं होती तो आधार नम्बर जारी नहीं किया जाएगा और नामांकन खारिज कर दिया जाएगा। आधार सृजन की प्रक्रिया की व्याख्या निम्नानुसार है:-
सीआईडीआर में निवासी का डेटा अपलोड करना
प्रत्येक निवासी नामांकन सॉफ्टवेयर के लिए पैकेट के रूप में है जो नामांकन पूरा हो जाने के बाद एन्क्रिप्टेड हो जाता है और यह यूआईडीएआई द्वारा नामांकन एजेंसी को उपलब्ध कराई गई अपलोड कलाइंट का उपयोग करके केंद्रीय आईडी रिपॉजिटरी (सीआईडीआर) में अपलोड हो जाता है। डुप्लीकेट पैकेट को सर्वर में अपलोड किए जाने से रोकने के लिए अपलोड पैकेट का रिकॉर्ड क्लाइंट सॉफ्टवेयर में रखा जाता है, जिससे प्रसंस्करण के समय की बचत के साथ-साथ पैकेट की अस्वीकृति भी नहीं होती। सर्वर का सभी डेटा स्थानांतरण हेतु सुरक्षित फाईल ट्रांसफर प्रेटोकॉल का उपयोग किया जाता है और इसलिए किसी भी अनधिकृत एजेंसी डेटा के लिए डेटा रिसाव की कोई संभावना नहीं है। निवासी से प्राप्त दस्तावेजों की भी स्कैन किया जाता है और वह नामांकन पैकेट का हिस्सा बन जाते हैं जिन्हें सीआईडीआर पर अपलोड किया जाता है।
सीआईडीआर सैनिटी चेक : प्रत्येक नामांकन पैकेट को वैधता सीआईडीआर के प्रोडक्शन जोन में प्रसंस्करण हेतु ले जाने से पूर्व checksums, पैकेट Meta Data आदि सीआईडीआर, डीएमज़ेड में स्वचालित प्रक्रिया के द्वारा विस्तृत रूप से जांच की जाती है।
डेटा अभिलेखीय: यह सुनिश्चित करने के लिए कि डेटा को सुरक्षित रखा गया है, CIDR में पैकेट की सामग्री को अभिलेख करने से पहले पढ़ा और एक तालिका में जमा किया जाता है। अभिलेखीय प्रणाली की निम्नलिखित आवश्यकताएं है:
- सभी मूल पैकेट (नामांकन, अद्यतन, आदि) का जैसे है, जिस रूप में है और हमेशा के लिए, उच्च उपलब्धता सुनिश्चित करने, और शून्य डेटा हानि के लिए अभिलिखित किया जाना अपेक्षित है।
- संग्रहित पैकेट को कोर नामांकन और प्रमाणीकरण प्रणाली से अलग करके, सुरक्षित रखा है।
- उचित अभिगम नियंत्रण और अनुमोदन सहित मांग पर डेटा पुनर्प्राप्ति की अनुमति है।
- शून्य डेटा हानि सुनिश्चित करने के लिए संग्रहित डेटा का नियमित रूप से बैकअप लिया जाता है।
मुख्य प्रसंस्करण पाइपलाइन
सैनिटी चैक पास के पश्चात नामांकन पैकेट को मुख्य प्रसंस्करण पाइपलाइन में बढाया जाता है। एक उच्च स्तर पर, इसमें निम्न चरण शामिल हैं:
स्वचालित डेटा मान्यकरण: जनसांख्यिकीय डेटा के लिए सीआईडीआर में निम्लिखित मान्यकरण जाँच की जाती है:
- नाम व पता मान्यकरण
- भाषा मान्यकरण
- पिनकोड और प्रशासनिक क्षेत्र
- ऑपरेटर, पर्यवेक्षक, परिचयकर्ता मान्यकरण
- अन्य डेटा और प्रक्रिया मान्यकरण
जनसांख्यिकीय डी-डुप्लिकेशन: जनसांख्यिकीय डी-डुप्लिकेशन मुख्य रूप से नगण्य डुप्लिकेट को पकड़ने के लिए किया जाता है (गैर धोखाधड़ी के मामलों में, जहां सभी जनसांख्यिकीय क्षेत्र एक समान हैं) जो कि अनजाने में सिस्टम को प्रस्तुत किए जाते हैं, जैसे कि, जब एक निवासी को कुछ दिन में आधार नम्बर प्राप्त नहीं होने पर उसने नामांकन केंद्र पर पुन: नामांकन करवाना तय किया। इसे 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के डी-डुप्लिकेट के लिए भी प्रयोग किया जाता है क्योंकि यूआईडीएआई की नीतियों के अनुसार 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों का बॉयोमीट्रिक्स डेटा संग्रहित नहीं किया जाता है। जनसांख्यिकीय डी-डुप्लिकेशन का उद्देश्य ऐसे मामलों को फिल्टर करना है ताकि बॉयोमीट्रिक्स डी-डुप्लिकेशन के लिए जा रहे नगण्य डुप्लीकेट्स की संख्या कम हो।
मैनुअल गुणवत्ता जांच:नामांकन पैकेट मैनुअल गुणवत्ता जांच हेतु भेजे जाते हैं, जहां विभिन्न गुणवत्ता जांच ऑपरेटर्स जनसांख्यिकी हेतु डेटा और फोटो गुणवत्ता मुद्दों की जांच करते हैं। इसमें निवासी की फोटो के विरूद्ध सेनिटी टेस्ट - मानव छवि के अस्तित्व, आयु और लिंग, बेमेल लिंग और संग्रहित डेटा (उदाहरणार्थ लिप्यंतरण त्रुटियों) के साथ साथ फोटो में सकल त्रुटियां भी शामिल हैं।
बॉयोमीट्रिक डी-डुप्लिकेशन:एक पैकेट के एक बार सभी सत्यापनों और जनसांख्यिकी जांच से गुजर जाने के पश्चात, इसे बायोमेट्रिक डी-डुप्लिकेशन हेतु बॉयोमीट्रिक्स सब-सिस्टम के लिए भेजा जाता है। तीन विभिन्न विक्रेताओं की स्वचालित बायोमीट्रिक पहचान प्रणाली (ABIS) सिस्टम का उपयोग सटीकता और प्रदर्शन के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित करने हेतु किया जा रहा है। विक्रेताओं को अपने सटीकता और प्रदर्शन के आधार पर अपने सिस्टम के प्रदर्शन में सुधार करना सुनिश्चित करना होता है। निवासियों की पहचान का खुलासा किए बगैर उनकी बायोमीट्रिक के साथ (सीआईडीआर में उत्पन्न) एक संदर्भ संख्या इन विक्रेताओं को प्रदान की जाती है। एआईबीएस प्रणाली डुप्लीकेट, यदि कोई हो तो, का पता लगाने के लिए उनकी गैलरी में मौजूद सभी बायोमीट्रिक्स के साथ निवासी के बायोमीट्रिक्स का मिलान करती है।
मैनुअल अधिनिर्णय: ABIS सिस्टम के द्वारा की गई सभी डुप्लिकेट की पहचान को अधिनिर्णय मॉड्यूल के पास भेजा जाता है। इस मॉड्यूल को भेजने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि ABIS प्रणालियों के कभी संभावित गलत मिलान के कारण किसी निवासी के नामांकन को खारिज न कर दिया जाए।
आधार कार्ड जारी करना
विशिष्टता निर्धारण करने के बाद निवासी को आधार नम्बर का आवंटन किया जाता है। निवासी का जनसांख्यिकी डेटा इस आधार नम्बर के साथ जुड़ा हुआ है और इसलिए यह पहचान सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस जानकारी को प्रमाणीकरण प्रणाली के लिए भी भेजा जाता है, ताकि निवासी का प्रमाणीकरण सफलतापूर्वक किया जा सके।
आधार पत्र वितरण
आधार सृजन के पश्चात प्रिंट पार्टनर के साथ डेटा साझा किया जाता है। प्रिंट पार्टनर पत्र मुद्रण (ट्रेकिंग जानकारी सहित) और इसे लॉजिस्टिक पार्टनर तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है। लॉजिस्टिक पार्टनर (इण्डिया पोस्ट) पत्र को भौतिक रूप में निवासी तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है।