एक आधार : आधार एक अद्वितीय संख्या है, कोई निवासी दोहरी संख्या नहीं रख सकता क्योंकि यह उनके व्यक्तिगत बायोमेट्रिक से जुड़ा होता है; जिसके चलते आधार-आधारित शिनाख्त में नकली और आभासी पहचानों जोकि आजकल लीकेज के रूप में सामने आते हैं, को रद्द किये जाने पर होने वाली बचत से सरकार अन्य योग्य निवासियों को लाभ बढ़ा सके।
पोर्टबिलिटी आधार एक सार्वभौमिक संख्या है, संस्था एवं सेवाएँ लाभार्थी की पहचान के लिए देश में कहीं से भी सेन्ट्रल यूनिक आइडेंटिफिकेशन डेटा बेस से सम्पर्क कर सकती हैं।
किसी मौजूदा दस्तावेज़ न होने पर समावेशन : लाभ प्राप्त करने में गरीब और हाशिये के निवासियों को होने वाली समस्या यह है कि राज्य के लाभ के लिए उनके पहचान के दस्तावेज़ पूरे नहीं होते; यूआईडीएआई के लिए डेटा सत्यापन करने के लिए स्वीकृत “इंट्रोड्यूसर” सिस्टम ऐसे निवासियों को पहचान प्रमाणित करने को कहेगा।
इलेक्ट्रॉनिक बेनिफिट ट्रांसफर : आजकल लाभ वितरण में युक्त अधिक लागत की जगह यूआईडी-एनेबल्ड-बैंक-अकाउंट-नेटवर्क निवासियों को सीधे लाभ पहुँचाने के लिए एक सुरक्षित और कम लागत वाला मंच उपलब्ध कराता है फलस्वरूप वर्तमान व्यवस्था में धांधली प्रतिबंधित की जाती है।
लाभार्थियों की प्राप्त पात्रता का आधार - आधारित अधिप्रमाणन: यूआईडीएआई निवासी की पहचान को वैधता देने वाली संस्था को ऑनलाइन अधिप्रमाणन सेवाएँ उपलब्ध कराएगी; यह सेवा निर्धारित लाभार्थियों तक लाभ की पहुँच की वास्तविकता सुनिश्चित करेगी। पारदर्शिता बढ़ने से सेवाओं में संशोधन: स्पष्ट उत्तरदायित्व और पारदर्शी नियंत्रण से लाभार्थियों और सदृश संस्थाओं तक आधिकारों और शक्तियों के समान वितरण में उल्लेखनीय संशोधन होंगे। सेल्फ-सर्विस से निवासियों को लाभ : आधार का उपयोग सत्यापन प्रक्रिया में करते हुए निवासी को अपनी पात्रता, मांग, सेवाएँ और शिकायतों के निदान से सम्बन्धित नवीनतम जानकारियाँ होनी चाहिए, जिनका वह सीधे अपने मोबाईल फोन, कीओस्क एवं अन्य माध्यमों से स्वयं लाभ उठा सके। निवासियों द्वारा मोबाईल पर सेल्फ-सर्विस से टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (जैसे- निवासी के रजिस्टर्ड मोबाईल नम्बर की और निवासी के आधार पिन की जानकारी से अधिकारिता प्रमाणित करना) के उपयोग से सुरक्षा सुनिश्चित रहती है। ये मानक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित मोबाईल बैंकिंग और पेमेंट के मानकों का पालन करते हैं।